सुविचार 4693
किसी भी संस्थान, को मनुष्यों, की जरुरत, नहीं होती है,,,बल्कि,
काम करने वालों, की तलाश, रहती है..,
काम करने वालों, की तलाश, रहती है..,
कीमत तुम्हारी और किस तरह समझाएं तुम्हे ।
जितना ख़ाली होता है एक भरा हुआ मन.
अभी उम्र नहीं है और अब उम्र नहीं है..
लेकिन इनकी छाप…हमेशा दूसरों के हृदय में विराजमान रहती है..
क्योंकि वो मुझे उतना ही समझेंगे जितनी उनमे समझ है..!!
जब ये बात हम सभी जानते हैं__ तो फिर मानते क्यों नहीं ..?
चेहरे परख लेने की बुरी आदत है मुझे..!!
अब हम लोगों से नहीं खुद से इश्क़ करते हैं.